हितोपदेश बेहद प्राचीन ग्रन्थ है। विभिन्न जंगली जानवरों पर आधारित कहानियां इसकी खास विशेषता है। ये कथाएं अत्यंत सरल और ज्ञान वर्धक हैं। इसके रचयिता नारायण पंडित हैं। नारायण पंडित ने पंचतंत्र और अन्य ग्रंथों के आधार पर इसकी रचना की है। इनमे पशुओं को नीति की बातें करते हुए दिखाया गया है और इसी माध्यम से कहानी बनाई गई है जिसकी समाप्ति किसी शिक्षापद बात से ही होती है। सभी कथाएँ एक- दूसरे से जुड़ी हुई प्रतीत होती है।हितोपदेश की कथाओं में पाटलिपुत्र, उज्जयिनी, मालवा, हस्तिनापुर, कान्यकुब्ज, वाराणसी, मगध देश, कलिंगदेश आदि स्थानों का उल्लेख है। हितोपदेश में कुल 41 कथाएं और 679 नीति विषयक पद्य है।
हितोपदेश की कथाओं को चार प्रमुख भागों में विभक्त किया गया है:-
1 . मित्र लाभ
2. सुहृदय भेद
3. विग्रह
4. संधि